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Rajkumar Kumbhaj

Others

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Rajkumar Kumbhaj

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पानी का स्वाद बताऐगी प्यास ही

पानी का स्वाद बताऐगी प्यास ही

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पानी का स्वाद बताऐगी प्यास ही

पानी का स्वाद बताऐगी प्यास ही

लेकिन ख़ून का स्वाद तो आदमखोर ही बताऐगा ना

तो मैं आदमखोर से ही पूछता हूँ

तो मैं आदमखोर से ही पूछ देखता हूँ

तो मैं आदमखोर से सीधे-सीधे पूछ देखता हूँ

ऐ माई ज़रा आँख मिला

ऐ माई ज़रा सीधे-सीधे बात कर

ऐ माई ज़रा सीधे-सीधे बात पर आ

तू जंगल का वासी

तू सीधे-सीधे और सादा-सादा वनवासी

तू किसी भी सन्यासी से कुछ ज़्यादा-ज़्यादा ही सन्यासी

फिर ये बता कि तूने ये खून पीना सीखा कहाँ से?

पाया कहाँ से इतना सहस

कि तू सहज ही पी लेता है ख़ून आदम का

और करता नहीं है उफ़ तक ?

और ज़रा ये भी तो बता

कि क्यों लेता नहीं है एक डकार तक?

जबकि तेरे रक्तपान से जुड़ा है तेरा भविष्य

जबकि मेरे स्वप्न जुड़े हैं तेरे रक्तपान-विरुद्ध

जबकि मेरी संभावना नियति

अथवा हो सकती है कोई एक प्राकृतिक-आपदा

किंतु तय है, तय है

अपने हिस्से का इतना-इतना

और इतना सच तो तय है

कि सच का सूरज डूबता नहीं है

और पृथ्वी की परिक्रमा जारी रहती है निरंतर

दूब निरंतर, दूब का ऊगना निरंतर

दूब के सौंदर्यशाली चित्र की रौंद निरंतर

मैं निरंतर, रौंद निरंतर, चित्र निरंतर

चलते चाक पर बनता चिराग निरंतर

चिराग की लौ निरंतर

लौ में धधकती आग निरंतर

धधकती आग की प्यास निरंतर

निरंतर प्यास, निरंतर आग

निरंतर आग की निरंतर प्यास में निरंतर पानी

पानी का स्वाद बताऐगी प्यास ही

लेकिन ख़ून का.....?


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