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Krishna Khatri

Others

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Krishna Khatri

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पालनहार

पालनहार

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वो ऊपर बैठा-बैठा 

जाने कितने

नाच नचाता है हमको

वो इतना होशियार 


ज़रा भी अंदेशा 

नहीं होने देता

कि अब क्या

होने वाला है साथ हमारे 


बस हम सब है 

कठपुतलियां उसकी 

वो हमारा करतबगार

हम सबकी है डोर 

हाथों में उसके !

 

वही नचाता  

वही गिराता 

वही उठाता

वही संभालता 


वही दुलराता

इसलिए कि 

वही तो है वो

जो हम सबका

है पालनहार।


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