नवचंडी माता
नवचंडी माता
सबका हर दिन शुभ हो..
मन वचन कर्म और भावना से हम
नौ दिन नवरात्र में देवी की पुजा में जो सार है..
वही जीवन की अपनी नैया पार है!
रोज भक्ति भाव से माता को पूजा किए जाना..
अच्छे कर्म अच्छे विचार रखते जाना..
हर वक्त नवचंडी माता भी आपके साथ है..
कोन क्या कहता है ..और कोन क्या नही..
किसी को क्या लेना और किसी को क्या देना..
अपनी मां की पूजा भक्ति में हमेशा तल्लीन रहना!
आगे ऊपर वाले की मर्जी..
उसे जो देना है देगा जो लेना हैं.. हमसे वो लेकर रहेगा!
खाली हाथ आया है.. खाली हाथ जायेगा..
इस मिट्टी में ही अपने शरीर को मिल जाना है..
फिर क्यो मन में घमंड करने का!
सुख के दो मीठे बोल बोलकर..
अपना जीवन पसार कर..
यही कर्म का लेखा जोखा है..
इसमें ही अपनी जीवन नैया साकार कर!
