नव वर्ष मंगलमय हो
नव वर्ष मंगलमय हो
19 को भावभीनी विदाई,
20 के आगमन पर शहनाई।
कुछ लफ्फाजों के लिये 19 - 20 का ही अन्तर है,
पर बुद्धिजीवी के लिये ये खुशियों का जन्तर है।
दोस्तो ये नम्बरों का खेल है,
संगतियों- विसंगतियों का मेल है।
जो बीत गई वो बात गई,
काली अन्धेरी रात गई।
जो दिया इस साल ने वो विधि का विधान था,
आशावादी मन इस ध्रुव सत्य से अंजान था।
नये मेहमान के आगमन से आशावान हैं सब
धर्मों में सौहार्द बढ़ेगा ये आशा बलवान है अब।
हमें पुनर्विचार करना होगा,
मन के आईने को साफ करना होगा,
जमी है धूल जिस पर जाती और धर्म की
उसको इंसानियत के पानी से भिगोना होगा।
साल दर साल उम्र और तजुर्बों में इजाफा होता है,
दिमाग में जीवन के सफर का खाका होता है।
मेरी दुआ है ये रब से आज मैं कह रहा हूँ आप सब से कि
जीवन से किया हुआ हर वादा पूरा हो,
दीपक से सही हर घर में उजाला हो।
गलतफहमी के आगोश में झूलते हुए सम्बंधों को सांस मिले,
परिवार में ऐसे रिश्तों को नई आस मिले।
एक अदद घर का सपना महंगाई के आगोश में ना दम तोड़े,
चार खम्बों पर ही सही पर एक छोटी सी छत जुड़े।
कदम बढ़ा कर ही जीवन में फतह मिलती है
वर्ना तो आज कल सड़कों पर जीरो विसिबिल्टी पसरी रह्ती है।
आने वाले साल का गर्मजोशी से स्वागत किजिये,
न्यू ईयर हैप्पी ही होगा कह कर अपनी
नकारात्मक सोच से बगावत कीजिये।
