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नेह
नेह
नेह
नेह
प्रिय
नेह नैना बसे
हिया खिले उल्लास।
अंतस
प्यासी मीन की
मिटी कल्प सी प्यास।
मुदित
ललित मुख चन्द्र से
मद सा पीयूं रास।
पिय
सुगंध लिए मन फिरे
बिखरे चहूँ उजास ।
ताली
दे दे सब हंसे
भई संग आग कपास।
अब
कौ जन्म मरण करे,
जग समझावें व्यास।
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