नारी सम्मान
नारी सम्मान
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आज वो अखबार जला ही दिया
जिसमे तेरा लेख छपा था
रोज लेती थी हाथों में,
पढ़ती थी खुद को जलाकर
राख करती थी,
मेरी खुशियों मेरे अस्तित्व को रौंदकर
तुमने खूब नाम बटोरा वाह-वाही ली
तुमने लेख में लिखा था,
नारी का सम्मान करो,
घरेलू हिंसा बंद करो
उन्हीं हाथों ने जो छाप दिये थे
मेरे चेहरे पर रोज छुपाती थी लोगों से,
घंटों मेकअप करके।
कब तक सहती मूरत बनकर
इन लेखों से ही हिम्मत आई है
'नारी का सम्मान करो,
घरेलू हिंसा बंद करो"
खुद को मजबूत बनाया है
आज अखबार जलाया है
कल तुम्हारी झूठी शान की बारी है
अब नारी ये जागी है,
अब नारी की बारी है।