मुर्शिद
मुर्शिद
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साग़र की आरज़ू ना पैमाने की आस होनी चाहिए...
बस इक निगाह-ए-मुर्शिद-ए-मय-ख़ाने की प्यास होनी चाहिए।
साग़र की आरज़ू ना पैमाने की आस होनी चाहिए...
बस इक निगाह-ए-मुर्शिद-ए-मय-ख़ाने की प्यास होनी चाहिए।