Karishma Warsi
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साग़र की आरज़ू ना पैमाने की आस होनी चाहिए...
बस इक निगाह-ए-मुर्शिद-ए-मय-ख़ाने की प्यास होनी चाहिए।
"फिर भी वो उठ...
सियासत
पहली और आख़िरी...
सरज़मी हिंदुस्...
मेरी वफ़ा
ग़ज़ल (एक कोशिश...
2022
उत्तराखंड
सरज़मीं हिंदुस...
ग़ज़ल