मुझे मुर्गा बना दिया गया
मुझे मुर्गा बना दिया गया
मैं एक पैदाइशी गायिका और
लेखिका हूं
लेखिका में भी कवयित्री
बोलने के साथ साथ
गाना गुनगुनाना भी
स्वत: ही आ गया
घर के पास ही के
एक अच्छे स्कूल में
नर्सरी में दाखिला
दो तीन साल की उम्र के बीच ही
हो गया
हमारे स्कूल में
हर शनिवार
छुट्टी होने से पहले
बाल सभा आयोजित की
जाती थी जिसमें
हमारी टीचर्स के कहने पर
हमें बिना तैयारी के
जो कहा जाये
वह करके दिखाना पड़ता था
हमारी शिवानी मैम को
पता नहीं कहां से यह पता
पड़ गया था कि
मुझे गाना गाना आता है
कहीं कुछ गाते सुन लिया होगा
फिर तो
हर शनिवार
हर बाल सभा में
मुझे खड़ा कर दें और
गाना सुनाने को कहें
वह सांवले रंग की थी
उनके बाल काले व घुंघराले थे
नाखून भी बढ़ाकर रखती थी
चाकू की नोक से नुकीले लगते थे
मुझे अंदर ही अंदर उनसे
बहुत डर लगता था
वह जो करने को कहती थी
मैं डर के मारे वह कर देती थी
लेकिन
एक शनिवार जो उन्होंने मुझे
गाना सुनाने को कहा तो
मेरा मन नहीं हुआ लेकिन
सबको आदत पड़ चुकी
थी
मेरा गाना सुनने की और
वह सब उसे बहुत पसंद करते थे
मेरी उन्होंने काफी खुशामद की
लेकिन
मेरा उस दिन बिल्कुल
मूड नहीं था
मैं टस से मस नहीं हुई
सबको मेरा यह
बर्ताव थोड़ा सा नागवार गुजरा
मेरी जिद की मुझे सजा भी
मिली
मुझे मुर्गा बना दिया गया
स्कूल की छुट्टी हो गई
बाल सभा खत्म हो गई
सब बच्चे अपने अपने घरों को
जाने लगे
सारा स्कूल धीरे धीरे खाली
होने लगा लेकिन
मुझे मुर्गा बनाये रखा गया
लेकिन फिर अंत में वह घड़ी भी
आई कि
मैडम मेरे पास आई और
मुझे सीधा खड़ा होकर
घर जाने की अनुमति प्रदान करी
लेकिन इस शर्त पर कि
अब मैं कभी गाना सुनाने की
फरमाइश होने पर
गाना सुनाऊंगी
कभी 'न' नहीं कहूंगी।