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Rajkumar Kumbhaj

Others

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Rajkumar Kumbhaj

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मुझ में मेरा पानी आख़िर कब तक ?

मुझ में मेरा पानी आख़िर कब तक ?

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मेरे सामने एक गिलास रखा है

मेरे सामने रखे गिलास में थोड़ा पानी है

थोड़े पानी की अपनी थोड़ी कहानी है

थोड़े पानी में थोड़ी मछलियाँ हैं

मछलियों के पेट में मुद्रिकाऐं हैं

मुद्रिकाओं में स्मृतियाँ हैं

स्मृतियों में जीवन है

जीवन संक्षिप्त है

संक्षिप्त किन्तु नहीं है जीवन की लड़ाई

इसकी हो सरकार या फिर हो उसकी

लड़ाई है तो सिर्फ़ पानी की

पानी आँखों का

पानी चेहरों का

पानी भाषा का

मुझे तलाश है पानी की

मुझे तलाश है मछलियों की

मुझे तलाश है मछलियों के पेट में छुपी

उन मुद्रिकाओं की , जिनमें कोटिश: स्मृतियाँ

जानी-अंजानी

इतिहास में ऐतिहासिक हो जाने से

वंचित भी जो

मेरे सामने एक गिलास रखा है

मेरे सामने रखे एक गिलास में थोड़ी धुंध है

धुंध है कि पानी , कुछ पता नहीं दरअसल

मेरे सामने एक गिलास रखा है

और मैं पुकार रहा हूँ पानी

पानी पुकारने की निरंतरता में छुपा है मेरा पानी

मुझ में मेरा पानी आख़िर कब तक ?

 


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