मत कर घमंड
मत कर घमंड
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करता रहा घमंड सारी उम्र ,
ये मानव अपनी शान का ,
कभी दिखाये अपना बंगला ,
कभी रौब दिखाये ताकत का |
मैं ही मैं सबसे बड़ा ,
सब मेरे आगे तुच्छ यहाँ ,
क्यूँ भूल गया वो ये ?
कि हमसे बड़ा प्रभु खड़ा |
अपने इस अभिमान में ,
वो नशे में चूर रहा ,
धीरे - धीरे अपनो से भी ,
वो यहाँ पर दूर हुआ |
इतना गुरूर एक दिन उसका ,
मृत्यु से जब चूर हुआ ,
वो देखता रह गया ,
सब भस्म पल छिन हुआ |
मत कर घमंड इतना ओ प्यारे ,
वरना तू पछतायेगा ,
मानवीय मूल्य को छोड़ सब ,
धरती पर रह जायेगा ||