"मसला-ए-दिल"
"मसला-ए-दिल"
ये सुकूँ की रात है
ये जुनूँ की रात है
न कुछ हम कहें ,न कुछ तुम कहो
ये लम्हों से लम्हों की बात है,
स्याह पलकों तले तेरी देखे हैं जो
ख़्वाबों से मेरे उन ख़्वाबों की बात है,
तेरे आगोश की गिरफ़्त में है जो
मेरे अनसुने जज़्बों की बात है,
सरग़ोशी तेरे हुस्न से चाँद की
ज़रा एहतियात से, ये तारों की रात है,
ऐ हुस्न ! जुगनुओं से क्या करूं तेरी सिफारिश ?
ये तो दिलों से दिलों की बात है
लबों पे खिला है तेरे सुर्ख़ सवेरा जो
मेरे कहे-अनकहे सफ़ों की बात है,
प्यासा हूँ तेरे इश्क़ में साहिल की तरह
ये तपिश से रेत के ज़र्रों की बात है।