STORYMIRROR

Nitu Mathur

Others

3  

Nitu Mathur

Others

मोरे कान्हा

मोरे कान्हा

1 min
210

 काहे बिसरायो मोहे कान्हा, मैं तो तेरी थी तुमरी छवि

ग्वाल गोपियां सब संग तुम्हारे, बस मैं ही क्यूं रिक्त रही

बजाकर मुरली धुन रसभरी, जब तुमने मन मोहा था

भूली सुध बुध मैं बेचारी , लिखती रही धुन पर बन कवि ,


पधारो मनोहर आंगन मोरे , करो दर्शन से कृतार्थ मोहे

कोई कष्ट ना आए निकट ,जो निहारूं जी भर के तोहे

तुम हो जग के स्वामी तो मुझ पर भी करो कृपा हे नाथ

हो जाए ये संसार सफल ,जो फेरो सर पर अपने हाथ।


                



Rate this content
Log in