मंजिल और रास्ते मेरे हैं
मंजिल और रास्ते मेरे हैं
आगे बढ़ो, बढ़ते रहो
रस्ते कई हैं मंज़िल वही है
बस चलते रहो ।।
आये जो दोराहे कभी,
गुमराह ना होना, घबराना नहीं
बस चलते जाना ...
अपनी राह पर, अपने मुकाम पर
हर पल आगे बढ़ते जाना ।।
आये जो पहाड़ कोई, रास्ता ना बदल लेना
काट के उस पत्थर को अपनी राह बना लेना ।।
आऐंगी मुश्किलें कई, राह आसान नहीं होगी,
दर्द होगा, तक़लीफ होगी,
लेकिन, मंज़िल भी वहीं होगी ।।
जो ना मिला उसका गिला ना करना,
हौसले बुलंद कर फिर कोशिश करना,
रकीब है वो, कुछ सोचा है उसने
बस यही मानकर फिर आगे बढ़ना ।।
पहुंचोगे एक दिन तुम उस मुकाम पर
वो मंज़िल तुम्हारी होगी,
जिसके हकदार हो तुम, वो जीत तुम्हारी होगी ।।
राह में चलते बस इतना ख़याल रखना
ना टूटे उम्मीद कभी, हौसला ना थमने देना
कदमों को बिना थके,बस यूँ ही
आगे बढ़ने देना ।।
