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Vivek Madhukar

Others

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Vivek Madhukar

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मीत

मीत

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हारा हुआ महसूस कर रहे तुम जब,

चाह रहे उबरना इस विषम परिस्थिति से

देखो गौर से ऊपर निशाकाश में।

पाओगे तुम बिखरे पड़े हैं सितारे चहुँ दिक्,

ज़रूरत है महज प्रकाशित करने की अपना प्रेम।

मिलेंगे इन सितारों में,

दिखेंगे स्पष्ट झाँकते हुए

मन के मीत तुम्हें, जो हैं

ह्रदय के कितने करीब।

आवश्यकता महसूस हो जब उनकी

नज़र ऊपर कर देखना,

और पुकारना नाम पूरे मन से

पाओगे अपने समीप,

हवाओं के परों पे बैठ

आ जाएँगे पलक झपकते पास तुम्हारे।

हर मीत मिलते हो जिससे तुम

एक सितारा है आसमां का

देख सकते हो आँख उठा कर तुम जिसे

भले मीलों दूर बैठा हो वो तुमसे।


हारा हुआ महसूस कर रहे तुम जब,

चाह रहे उबरना इस विषम परिस्थिति से

देखो गौर से ऊपर निशाकाश में।



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