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Vijay Kumar parashar "साखी"

Others

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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"म्हारा सांवरिया पधारो"

"म्हारा सांवरिया पधारो"

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म्हारा सांवरिया पधारो न हिवड़ा रा देश मे

कब सूं बाटलियाँ जौंउ म हिवड़ा रा देश में

थारी याद घणी-घनी आव,मने परदेश में

थारा बिना कौन म्हारो सगो दुनिया रा रेत में


म्हारा साँवरिया पधारो न हिवड़ा रा देश मे

थू ही म्हारो सांचो संगी साथी हर वेश मे

या दुनिया थारा पाछे,म दीवानी थारा प्रेम में

म्हारा साँवरिया पधारो न,कान्हा रा वेश में


जसा न थू लाज राखी द्रोपदी री,सांवरिया

वसा न लाज राख म्हारी,थारी माया रा खेत मे

म सुधबुध खो बैठी,थारा इंतजार रा जेठ में 

म्हारा सांवरिया पधारो न हिवड़ा रा देश मे


जब-जब बाजे फाटकली,दौड़ी आऊं गेट पे,

अब हरपल थू ही देखे,म न हर घड़ी वेश में

अब आजा साँवरिया,सांसा पूरी होबा आई

आंसू सुखन आया,ख़दी आवलो थू भेंट पे


म्हारा सांवरिया पधारो न हिवड़ा रा देश में

कब सूं बाटलियाँ जौंउ,म हिवड़ा रा देश मे

थारा बिना अधूरी म्हारी आत्मा,हर वेश में

म्हारा साँवरिया पधारो न हिवड़ा रा देश मे.





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