मेवाड़ की माटी
मेवाड़ की माटी
ये माटी राजस्थान की है
वीरों के बलिदान की है,
ये माटी हिंदुस्तान की है
मुझे इस पर गर्व है,बहुत,
ये माटी अभिमान की है।
गुलामी सहना,
हमारे खून में नहीं है,
ये माटी,
मेरे मेवाड़ के शान की है,
यहां प्रताप का जन्म हुआ है,
ये माटी प्रताप महान की है।
ये माटी जान देकर बेटे की
रक्षा की महाराणा उदयसिंह की
ऐसे स्वामिभक्त,
पन्नाधाय के बलिदान की है।
यहां जन्मे थे जयमल-पता
जिनके शौर्य से,अकबर
रह गया था हक्का-बक्का
ये माटी जयमल-पता के,
त्याग-बलिदान के शान की है।
यहां हुए है गोरा-बादल
जिन्होंने कर दिया था,
खिलजी को आधा पागल,
ये धरती गोरा-बादल के,
अभिमान की है।
यहां हुए है कल्ला राठौड़
मुगलो को दिया जिन्होंने फोड़
ये माटी कल्ला-राठौड़ के
वीरता के स्थान की है।
80 घाव जिनके लगे थे
फिर भी लड़ने से न डरे थे
ये माटी राणा सांगा के
घावों के वरदान की है।
अपने सत्तित्व को जिसने बचाया
आग के दामन को जिसने जलाया
ये माटी मां पद्मिनी के
जौहर के आग की है।
अपने पति का खुद मोह भंग किया
अपना शीश ही पति को अर्पित किया
ये धरती हाडिरानी के निशान की है।
कठौती में निकाल दी थी गंगा
भक्त रैदास ने ऐसे बहाई थी गंगा
ये धरती भक्त रैदास के,
भक्तिरस के थान की है।
कृष्ण को ही सिर्फ पति मानती थी
बाकी मीराबाई कुछ नही जानती थी
ये माटी है मीराबाई की
कृषभक्ति के कान की है।
ये माटी राजस्थान की है
वीरो के बलिदान की है
ये माटी हिंदुस्तान की है।