STORYMIRROR

Harshita Dawar

Others

3  

Harshita Dawar

Others

मेरी तरफ़ से आज़ाद है

मेरी तरफ़ से आज़ाद है

1 min
214

मेरी तरफ़ से आज़ाद थे तुम।

बंटे हुए तो हम थे मगर।

फिर आहें दबाए जीते रहे हम।

दिल में कोसते दुप्पटा भिगोते

रहे हम।


तुम परदेस जाकर भूल गए सब।

पीछे मुड़कर देखने का प्रयास

किया होता तब।

ख़ुद को सुलझाने में लगे रहे हम।

बच्चों का वक़्त आया पालन किया

था कब?

अपने सपनों को मरोड़ कर फेंक

दिया था तब।


यहीं था मेरी तक़दीर में समझा लिया

था तब।

मेरी तरफ से आज़ाद तब भी थे

अब भी हो, बस पीछे मुड़ कर

कभी ना देखना।

दुनिया की नज़रों में सुहागन की

ज़िन्दगी दिखाती रही।

आशाओं को आँखो में छिपा कर

दर्द को मुस्कान में छिपा कर

बस फ़र्ज़ ज़िन्दगी का कर्ज़ चुकाती रही।


तुझे एहसासों के समुद्र के मंथन से

मुक्त करवाती रही।

तेरी ख़ुशियों की बगिया से मेरे बोए

बीजों को उजाड़ती रही।

बस अपने कर्तव्य से कभी ख़ुद को

समझाती रही।

बेटी की ख़ातिर जीती रही।

बस मेरी ज़िन्दगी की सच्चाई से 

वाक़िफ करवाती रही।



Rate this content
Log in