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Abhishek Singh

Others

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Abhishek Singh

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मेरी तन्हाई..!

मेरी तन्हाई..!

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लक्ष्य भी है, मंज़र भी है,

चुभता मुश्किलों का खंज़र भी है !

प्यास भी है,आस भी है,

ख्वाबों का उलझा एहसास भी है !

रहती भी है, सहती भी है,

बनकर दरिया सा बहती भी है !

पाती भी है, खोती भी है,

लिपट-लिपट कर रोती भी है !

थकती भी है, चलती भी है,

कागज़ सा दुखों में गलती भी है !

गिरती भी है, संभलती भी है,

सपने फिर नए, बुनती भी है !


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