मेरी तन्हाई..!
मेरी तन्हाई..!
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लक्ष्य भी है, मंज़र भी है,
चुभता मुश्किलों का खंज़र भी है !
प्यास भी है,आस भी है,
ख्वाबों का उलझा एहसास भी है !
रहती भी है, सहती भी है,
बनकर दरिया सा बहती भी है !
पाती भी है, खोती भी है,
लिपट-लिपट कर रोती भी है !
थकती भी है, चलती भी है,
कागज़ सा दुखों में गलती भी है !
गिरती भी है, संभलती भी है,
सपने फिर नए, बुनती भी है !
