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Vijay Kumar parashar "साखी"

Others

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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मेरी पसंदीदा जगह-कश्मीर

मेरी पसंदीदा जगह-कश्मीर

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मेरे दिल की मिटाती यह जगह पीर है

यहां की याद की मेरे दिल में बनी लकीर है।

कहते हैं हम इस जगह को दिल की तस्वीर है

ये कश्मीर है,

ये कश्मीर है।


बर्फ़ सी ढकी हुई पहाड़ियां,

दिल की मिटाती है वो तन्हाइयां

दिल में चल जाता है किसी का तीर है,

कहते है हम इस जगह को 

दिल की तस्वीर है,

ये कश्मीर है,

ये कश्मीर है।


बादलों को छूते हुए चलना

यहां पवन चलती बनकर फ़कीर है

यहां पर फ़ैली है प्रकृति की सुंदर चादर,

सब के दिलो में बसा होता है ऐसा सुंदर घर,

हम क्या वो देवता भी मोहित हो जाते हैं

ये सुंदरता में पूरे धरती का शरीर है,

कहते हैं हम इसको दिल की तस्वीर है,

ये कश्मीर है,

ये कश्मीर है।


यहां का हर नज़ारा

दिल को लगता है तारा,

यहां की खूबसूरती

लाजवाब तीर है,

हमारा दिल तो यहां से जाना नहीं चाहता है,

उसे लगता यहां मिलती है जन्नत सी खीर है

दम कभी भी निकले गम न होगा,

बस निकले तेरी ही गोद मे कश्मीर है।



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