मेरी खुशी
मेरी खुशी

1 min

168
कभी भी न पाया था
खुद को खुश
किसी की खातिर
इस कदर
कई बार आया यह ख्याल
मन में
क्यों हूँ खुश मैं आज
पर जिस के लिए थी
खुश मैं आज
अपने गमों को भुला कर
वो कोई और तो न था
वो तो मेरा ही अंश था
इसीलिये उसकी खुशी
और उसकी ख़ुशी का चहकना
बन गया था फसाना
मेरी ख़ुशी का