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अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

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अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

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मेरे सपनों का भारत

मेरे सपनों का भारत

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मेरे सपनों का भारत , काश !

तीन सौ वर्ष पूर्व की गंगा सा पावन, निर्मल होता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

आज भी सोने की चिड़िया कहलाता

मेरे सपनों का भारत , काश !

आज भी रामराज्य की संकल्पना को साकार करता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

भाईचारे के पावन रिश्ते से परिपूर्ण होता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

पुनः संत समाज के मानवतावादी व धार्मिकतावादी विचारों से ओतप्रोत होता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

राजभाषा हिंदी को विश्व पटल पर सम्मानित करता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

राजनीतिक रोटियां सेंकने वालों का गढ़ न हो क रराष्ट्र को समर्पित चरित्रों का आशियाँ हो जाता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

भ्रष्टाचार से मुक्त एक मानवतावादी विचार से संपन्न राष्ट्र होता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

आधुनिक विचारों से प्रभावित न होता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

संस्कृति और संस्कारों की गंगा बहाता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

आध्यात्म और जीवन जीने की कला से परिपूर्ण एक संगम होता

भौतिकतावाद से ऊपर उठ आध्यात्मवाद का केंद्र हो पाता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

ऋषियों – मुनियों के सद विचारों से पुष्पित होता


मेरे सपनों का भारत , काश !

स्वयं को क्षेत्रीयतावाद , धार्मिकता , सम्प्रदायवाद से ऊपर उठ

प्रजातंत्र को जीवंत रख पाता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

काले धन के चोरों की शरण स्थली न होता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

कवियों के रक्त से लिखी मानवतावादी विचारों से परिपूर्ण

कविताओं से पुष्पित होता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

गाँधी, विवेकानंद , टैगोर के विचारों को जीवंत रख पाता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

आदर्शों , संस्कारों को संजोकर रख पाता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

आधुनिक दूषित विचारों से स्वयं को बंधन मुक्त रख पाता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

देवालयों , मंदिरों की घंटियों की ध्वनि से पावन होता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

चर्चों , मस्जिदों , गुरद्वारों के पावन विचारों की धरोहर होता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

कोई भी देश में कुपोषण का शिकार न होता

कोई भी भूख से न मरता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

जहां बालपन बाल मजदूरी को बाध्य न होता

काश वह शिक्षा उपवन की रौनक होता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

जहां की मिटटी की भीनी – भीनी खुशबू

जीवन की बगिया को पुष्पित करती

शिक्षा के मंदिर देवालयों से पूजे जाते

जहां शिक्षक वृन्द देवतुल्य हो जाते!


मेरे सपनों का भारत , काश !

जहां किसान को अन्नदाता समझा जाता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

काश पावन जल से परिपूर्ण कालिंदी को सिंचित कर पाता

जहां गंगा, निर्मल- पावन होकर कल – कल कर बहती , जीवन प्रदान करती!


मेरे सपनों का भारत , काश !

जहां बालपन अठखेलियाँ करता

परम्परागत साधनों से बालपन को सींचता , पुष्पित करता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

जहां भ्रष्ट आचरण को तनिक भी स्थान न मिलता ,

सद विचारों की गंगा बहती!


मेरे सपनों का भारत , काश !

जहां घर – घर में राम के आदर्श पल्लवित व संस्कारित होते

गौतम बुद्ध , विवेकानंद, नानक, रामकृष्ण के धार्मिक

विचारों को शिक्षण संस्थाओं का संरक्षण प्राप्त होता और

वे इन विचारों के सर्वश्रेष्ठ प्रचारक होते!


मेरे सपनों का भारत , काश !

जहां घर , मकान न होकर मंदिर हो जाते

रिश्तों की मर्यादा , समाज का पूँजी होती!


मेरे सपनों का भारत , काश !

सबकी आँखों का नूर होता

काश ! सबके दिलों पर राज़ करताकाश ! भारत, भरत के आदर्शों की पूँजी सहेज पाता!


मेरे सपनों का भारत , काश !

मेरे सपनों का भारत , काश !

मेरे सपनों का भारत , काश !


इस कविता के माध्यम से मैं पुनः उस भारत की कल्पना को साकार करना चाहता हूं जो कभी हमारे दिल की धड़कन हुआ करता था।




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