मेरे पिता मेरा गर्व
मेरे पिता मेरा गर्व
माँ घर का गौरव तो पिता घर का अस्तित्व होते हैं.
माँ के पास अश्रुधारा तो पिता के पास संयम होता है
दोनों समय का भोजन माँ बनाती है,
तो जीवन भर भोजन की व्यवस्था करने वाले पिता होते हैं
कभी चोट लगे तो मुंह से ‘ ओह माँ ’ निकलता है
रास्ता पार करते वक़्त कोई ट्रक पास आकर ब्रेक लगाये
तो ‘ बाप रे ’ ही निकलता है..
क्योंकि छोटे-छोटे संकट के लिये माँ याद आती है,
मगर बड़े संकट के वक़्त पिता याद आते हैं
पिता एक वट वृक्ष है जिसकी शीतल छाँव में,
सम्पूर्ण परिवार सुख से रहता है…!!!!
