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Archana Verma

Others

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Archana Verma

Others

मेरे मित्र

मेरे मित्र

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एकखुशबू सी बिखर जाती है

मेरे इर्द गिर्द 

जब याद आते हैं मुझे मेरे मित्र। 


जब भी मन विचलित होता है 

किसी अप्रिय घटना से 

घंटो सुनते रहते हैं वो मेरी बकबक 

चाहे रात हो या दिन।

 

मेरे फिक्र में रहते हैं वे

सदा उद्विग्न 

एकखुशबू सी बिखर जाती है 

मेरे इर्द गिर्द 

जब याद आते हैं मुझे मेरे मित्र। 


मैं उनसे अपने मन की कहता हूँ 

वो मुझे कभी तोलते नहीं 

मेरे राज़ किसी  और से बोलते नहीं

हैं समझ में मुझसे परिपक़्व बहुत।


पर उम्र मैं हैं वो मुझसे बहुत भिन्न 

एकखुशबू सी बिखर जाती है 

मेरे इर्द गिर्द 

जब याद आते हैं मुझे मेरे मित्र। 


मैं कभी जो झुंझला जाओ उनपे 

बेवजय यूँ ही 

वो मन छोटा कर मुझसे मुँह मोड़ते नहीं 

मैं उनको मना ही लाता हूँ।

 

चाहे वो मुझसे कितना 

भी हो खिन्न 

एकखुशबू सी बिखर जाती है

मेरे इर्द गिर्द 

जब याद आते हैं मुझे मेरे मित्र।  


हमेशा साथ होते हैं जब भी मैंने 

पुकारा उन्हें 

जैसे मेरी दुःख तक़लीफों को साँझा करने 

भेजा हो ईश्वर ने 

कोई अलादीन का जिन्न।

 

एक खुशबू सी बिखर जाती है

मेरे इर्द गिर्द 

जब याद आते हैं मुझे मेरे मित्र। 


हमारे विचारों में हैं मत भेद बहुत 

फिर भी हृदय से हम नज़दीक बहुत 

एक दूसरे की दोस्ती पे कभी न रहता 

कोई प्रश्न चिन्ह।

 

एकखुशबू सी बिखर जाती है

मेरे इर्द गिर्द 

जब याद आते हैं मुझे मेरे मित्र। 


माता पिता ने दिया जीवन हमें

जिसका मैं सदा ऋणी  रहूंगा 

पर मित्रों के बिन जीवन की कल्पना 

न कर सकूंगा 

जन्म से जुड़ा रिश्ता तो सब पाते हैं।

 

पर मेरे जीवन का वे 

हिस्सा हैं अभिन्न 

एकखुशबू सी बिखर जाती है

मेरे इर्द गिर्द 

जब याद आते हैं मुझे मेरे मित्र। 


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