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योगेश कुमार

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योगेश कुमार

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मेरा रंग

मेरा रंग

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रेशम तन लिए तुम आये

मीत बन मेरे प्यार को सुगम बनाये तुम आये

अपने सुवर्ण वर्ण पर अब इतराते हो रे कान्हा !!

क्यों इतना भाव खाते हो

रहो तुम मृगनयनी मुझे सांवला रहने दो,

तुम मुझको काला ही रहने दो।

ओ हुस्न की दौलत वाली

अजब निराली प्यारी ख्याली,

इन नज़रों के तीर से किसको को कंगाल करोगी,

वक़्त मेरा भी लाओ कभी कब मुझे मालामाल करोगी,

अब इस माया को रखो अपने संग

बनो तुम रईस मुझको दीवाला रहने दो,

तुम मुझको काला ही रहने दो।

बहकता हुआ गलियों में घूमता रहा,

कभी प्यार कभी मदहोशी में झूमता रहा,

तन्हाई में मेरी तुम शराब शबाब बने,

भीगता गया मै जब घटा से ये बाल बने,

इन बहकते नयनों की आख्या करने दो

तुम बनो सुधा मेरी मुझे प्याला रहने दो,

तुम मुझे काला ही रहने दो।

सुन्न हुआ समंदर ये क्या हो गया,

जितनी वफ़ा की उसने उतना बेवफा हो गया,

ठंडी जागती रात में कुछ बेवक्त रौशनी जगा गये,

ऐसा क्यों श्राप दिया चल तन को इमारत बना गये,

ये इमारत अब खण्डर हुई

एक खण्डर का मुझे बुना जाला रहने दो,

तुम मुझे काला ही रहने दो।


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