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Vijay Kumar parashar "साखी"

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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मेरा पूरा हुआ संकल्प

मेरा पूरा हुआ संकल्प

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आज बरसों बाद मेरा संकल्प पूरा हो गया है,

मेरा शिक्षक बनने का ख्वाब हक़ीक़त हो गया है,

इस ख़्वाब के लिये खाना-पीना छोड़ दिया था,

आज मेरा पेट ख़ुशी के मारे चुपचाप सो गया है,

आज बरसों बाद मेरा संकल्प पूरा हो गया है।


चाहत थी विद्या अर्जन के साथ विद्या दान की,

आज मेरा कहीं जन्मों का पुण्य फ़लित हो गया है

न जाने कितनी राते पढ़कर बिना सोये गुजारी थी,

आज उन रातों का चांद पूनम उदय हो गया है,

आज बरसों बाद मेरा संकल्प पूरा हो गया है.


शुक्रिया ख़ुदा तेरा भी भरपूर करता हूं,

मेहनत तो लाखों करते है,

पर तेरी रहमत ये साखी दरिया पार हो गया है,

आज बरसों बाद मेरा संकल्प पूरा हो गया है,

ये संकल्प जरूर पूरा हुआ है,

आगे एक और संकल्प दिल में उत्पन्न हुआ है।


करना अपना कर्म तू ईमानदारी से,

पढ़ाना तू बिना किसी रेज़गारी के,

अपने इस नेक संकल्प के

पूरा करने के वादे से,

तू ख़ुदा एक प्यारा बंदा हो गया है,

आज बरसों बाद मेरा संकल्प पूरा हो गया है।



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