मेरा जन्म-घर!
मेरा जन्म-घर!
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याद न था वो घर जहाँ,
ली मैंने थी किलकारी।
चाचा, बुआ सब ख़ुश थे,
ख़ुश थें दादा-दादी।
याद न था वो घर जहाँ,
ली मैंने थी किलकारी।
धारावाहिक देख टीवी में,
जब नामकारण हुआ टँकल।
अब कभी जब जाता हूँ।
दिन करता वो अनुभव,
साथ जब सब होते थे।
करते थे ख़ूब मनमानी,
बुआ के बच्चों के साथ,
खेली ख़ूब अंताक्षरी।
भैया-दीदी दो पक्ष थे,
हम थे उनके सहयोगी।
वो मेरा बचपन था,
मैं उसकी बातें!
वो मेरा जन्म घर था,
मैं उसकी यादें!