मेरा गांव
मेरा गांव
हमारा गांव
वह कच्ची सड़क जो
मेरे गांव को जोड़ती है शहर से
अब सुनसान निर्जन सी। पड़ी है।
लोगों का आवागमन
थम सा गया है।
क्योंकि अब गांव
पक्की सड़क से जुड़ गया है।
कभी इस कच्ची सड़क
के भी दिन थे
ऐसा सुना था मैंने अपनी दादी से ।
प्राकृतिक जल स्रोत,
छन छन की आवाज करते
बहते झरने कल कल करती नदियां
संगीत सुनते आते जाते थे बच्चे पढ़ने।
अंजुली भर जल पी लेते थे
इसी झरने का अमृतमय जलपान बल
देता आगे बढ़ने का।
जब चलती गोरों की
पलटन इस रास्ते
दादी कहती है हमने देखा
लोग किनारे हटते।
घोड़ों की आती आवाज
दूर तक सुनाई पड़ती
टप टप टप टप
ऊंचाई से गिरती हैं जैसे
टपकती पानी की बूंदें
टप टप टप टप।
घने जंगल बीच से कोई
घसारिन घास काटती
घप घप घप घप ।
दूर कहीं झरने के किनारे
कोई महिला वस्त्र धोती
छप छप छप छप।
नाना प्रकार के खग कुल
किया करते कलरव ।
चीं चीं चीं चीं पीं पीं पीं पीं
खाने को मिलते विविध
मूल कंद फूल फल ।
दोनों किनारे वृक्ष बड़े बड़े
जामुन, दुदिल और काफल ।
आते जाते तृप्त करते
पथिक को देकर फल छाया शीतल।
