प्रकृति वर्णन
प्रकृति वर्णन
नील गगन से उतर आयी एक परी।
रत्न जड़ित अलंकृत परिधान हरी।
नील नयन लोचन दृग अभिरामा।
शश्य श्यामल हरित पल्लव ग्रामा।
सुहानी सुरभि विभोर उतावली।
वातायान का पट खोल बावली।
खागकुल कलरव नवल प्रभात।
दरश दरश नील नयन न अघात।
अरुण चुनरिया ओढ़े गगन तीर।
मेघाच्छादित नभ लोचन सनीर।
नव लतिका ले आयी नीर गगरी।
आंचल सुरभित प्रमुदित मंजरी।
पुष्पे पुष्पा गेहे भ्रमर गुंजायमान।
संदेश प्रीत का श्रुत कानों कान।
मन्द मन्द बहत अनिल मकरंद।
लतिका गावत वन्दना के छंद।
क्षितिज अटारी दिखे बाल रवि।
पल पल छिन छिन बदली छवि।
तृण तृण हीरक मणि सी आभा।
बिखरा ओस कण दृश्य अचंभा।
हंस करे केलि गगन मानसरोवर।
तिलिस्म टूटा बढ़ चला दिवाकर।
