मेरा भारत (देश प्रेम)गीतिका
मेरा भारत (देश प्रेम)गीतिका
मान देश का बढ़े कि सभ्यता बनी रहे
देश प्रेम की अटूट श्रृंखला बनी रहे।
योग्य शूरवीर हों भारती के लाल सब
नागरिक सुयोग्य धीर वीरता बनी रहे।
जन्मभूमि, मातृभूमि, कर्मभूमि के लिए
देशभक्ति की महान लालसा बनी रहे।
रंग रूप, जाति पाति, भेद भाव , छोड़कर
प्रेम की अखण्ड भव्य भावना बनी रहे।
राजनीति में पले न भ्रष्ट कूटनीतियाँ
ऊँच नीचता मिटे सहिष्णुता बनी रहे।
बन्धु बांधव में बढ़े, मिटे कुढी कुरीतियाँ
सद्गुणों की शुद्ध तारतम्यता बनी रहे।
विश्व देखता रहे प्रभाव को विकास को
शान देश की बढ़े महानता बनी रहे।
