में भागूंगा नही युद्ध करूँगा
में भागूंगा नही युद्ध करूँगा
मैं भागूंगा नहीं युद्ध करूँगा
विजय के लिए जरूर मरूंगा,
फूल मिले चाहे शूल मिले
आत्मविश्वास की बरसात
घनघोर करूँगा,
जिंदगी चाहे चार दिन की हो
चार दिन को सौ साल करूँगा
में भागूंगा नहीं युद्ध करूँगा।
ये दुनिया बड़ी स्वर्ण मृग सी है
सबको लगती ये भोली सी है
मे स्वर्ण मृग के छलावे से डरूंगा
हर प्रलोभन को छोड दूंगा
में सत्य की तलवार से लड़ूंगा
में भागूंगा नहीं युद्ध करूँगा।
कर्म पथ पर अविराम चलूंगा
पथ के हर पत्थर पर
अपना निशां करूँगा
आयेगी जितनी बाधा,
उतना मजबूत करूँगा
खुद से वादा
हर बाधा को पार करूँगा
अपने दृढ़ संकल्प से
आसामां तक छेद करूँगा
में भागूंगा नहीं युद्ध करूँगा।
हर विपरीत परिस्थिति पर
अपनी जान का दांव करूँगा
कर्ण तो नही हूं,पर
कर्ण को अपना आदर्श करूँगा
में भागूंगा नही युद्ध करूँगा।
