Anjali Singh

Abstract

3.5  

Anjali Singh

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मैं एक नारी हूँ

मैं एक नारी हूँ

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मैं एक नारी हूँ

बहती हवा सी हूँ मैं

एक पल में सुकून दे जाऊँ सब को

तो वहीं दूसरे पल सब उड़ा ले जाऊँ सब कुछ

मैं एक नारी हूँ


फूलों की तरह नाज़ुक भी हूँ

तो पत्थर की तरह कठोर भी हूँ

बड़े से बड़ा गुनाह भी माफ कर जाऊँ

खुद में सुधार के लिए व्यक्ति तत्पर हो तो

मैं एक नारी हूँ


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