मैं एक कठपुतली सी..
मैं एक कठपुतली सी..
1 min
211
मैं एक कठपुतली सी,
जीवन के रंगमंच में थिरकती सी,
हर किरदार में पनपती सी,
रिश्तों के धागों में बंधी सी।
मैं एक कठपुतली सी,
जीवन के रंगमंच में थिरकती सी,
तालियों के शोर में गुमसुम सी,
किस्मत की लकीरों में खिंचती सी।
मैं एक कठपुतली सी,
जीवन के रंगमंच में थिरकती सी,
हर पल उंगलियों पर नाचती सी,
अपनी कहानी औरों की जुबानी सी।
मैं एक कठपुतली सी,
जीवन के रंगमंच में थिरकती सी,
ज़माने के इशारों में चलती सी,
अरमानों को घूंघट में छुपाती सी।
