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Saroj Tiwari

Others

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Saroj Tiwari

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मैं बनी तुलसी

मैं बनी तुलसी

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मैं खजूर  इतराऊँ

अपनी उँचाई पर

मैं ताड़ और नारियल

लहराऊँ इस गुमान में

फलों से लदे हुऐ

आम ,अमरूद ,सेब

और अनार

अपने घमण्ड में चूर

एक छोटी सी आँधी आई

और मैं .......................

अस्तित्व विहीन हो गई

..................................

फिर मैं तुलसी बनी

ना कोई गुमान

ना अहंकार ना

कोई घमण्ड

आँधी आऐ या तूफ़ान

अडिग और स्थिर हूँ

प्रभु के चरणों में

चढ़ाई जाती हूँ

और पूजी जाती हूँ ।।।

 

 

 


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