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मानव जीवन एक प्रश्न चिह्न

मानव जीवन एक प्रश्न चिह्न

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जीवन मानव का

क्यों  ???

प्रश्न चिह्न है बना हुआ

जीने के ढंग हैं

पृथक  पृथक

फिर भी जीवन में

उथल पुथल

कहीं शून्य

कहीं मरघट सा

विरान चमन

श्मशान सा सन्नाटा

ख़ुशियों और रिश्तों का

जीवन से टूट गया नाता

इस पर भी हम कहते हैं

कि ज़िंदा हैं

किस अर्थ में ?

जीवन को करते

हम शर्मिन्दा हैं

जीवन के उलझन का

क्या कोई अंत नहीं

प्रेम का इस जीवन

क्या कोई अर्थ नहीं

क्या जीवन का

उत्थान पतन

बस यहीं और यही है  ?????

 

 

 


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