मातृभाषा हिंदी
मातृभाषा हिंदी
कुछ पाने की अभिलाषा में,
स्पर्धा के इस दौर में ,
जीतने को आतुर हैं हम,
अंग्रजी को अपनाते हैं,
फिर भी मातृभाषा अपनी हिंदी को,
है थोड़ा -थोड़ा कर के ही सही जुबां पर लाते हैं।
आओ मिलकर हिंदी के अलंकारों से अपनी वाणी को सजाते हैं।
गीत, कविता, भजन और गज़ल को हम हिंदी में ही गाते हैं।
भाव अभिवक्ति का सशक्त माध्यम हिंदी को बनाते हैं।
फिर क्यों हम शरमाते हैं,
जब लोक गीत हम मातृभाषा हिंदी में गाते हैं।
हर्ष उल्लास का अनुभव ,
हम अपनी मातृभाषा में ही पाते हैं।
नहीं हो पाता रस आस्वादन,
जब हम अपनी द्वितीयक भाषा चलाते हैं।
फिर क्यों नहीं हम हिंदी का गुण गाते हैं,
हिंदी का क्यों नहीं दुनिया में परचम लहराते हैं।
हिंदी हमारी संस्कृति का अलंकार है,
पूरी दुनिया को इसका भान है।
आओ करें संकल्प हिंदी नहीं होगी मोहताज
किसी विशेष दिवस या पखवाड़े की।
बोल-बोल कर हम हिंदी को इस संसार में लोक प्रिय बनाएंगे।
उच्चतर शिक्षा में हिंदी को लायेंगे।
