माँ
माँ
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वह एक माँ है
पर मुसलमां है
अपने बच्चे को ढूँढ़ने निकली है
बच्चा बड़ा है
लापता है
जाने ज़मीन ख़ा गई
या आसमान निगल गया
हर जगह गुहार लगाए फिरती है
माँ है
अपने बच्चे से बिछड़ने का दुःख
हमें क्या पता है
बच्चा जाने कहाँ से ग़ायब हुआ है
माँ के नैना मिलन को तरसे
रो-रो कर माँ दर-दर भटके
गुहार उसकी कब सुनी जाएगी
और बच्चा उसका कब घर आएगा
इस बात से अनजान है माँ
माँ के प्राण बसते हैं बच्चे में
कोशिश माँ की आज भी जारी है
अपने बच्चे को ढूँढने के लिए
पल-पल फिरती मारी-मारी है।
