कलम की स्याही जब कागज पर उतरती है वो दिल के रास्ते से होकर ही गुजराती होगी। कलम की स्याही जब कागज पर उतरती है वो दिल के रास्ते से होकर ही गुजराती होगी।
तेरा हित चाहा मैंने हरदम, पर तू कभी माना ही नहीं।। तेरा हित चाहा मैंने हरदम, पर तू कभी माना ही नहीं।।
ऐ जख़्म ए ज़िन्दगी, तूने इस लेखक को ढूंढ ही लिया, तेरा शुक्रिया। ऐ जख़्म ए ज़िन्दगी, तूने इस लेखक को ढूंढ ही लिया, तेरा शुक्रिया।