लालच मत कर ओ पप्पू
लालच मत कर ओ पप्पू
लालच बुरी बला है पप्पू
लालच से डर।
लालच मत कर ओ पप्पू
तू लालच मत कर।
जितना है, उसमें खुश रह
कोशिश कर, जल में ना बह
तृष्णा का कोई अंत नहीं
सदा जीवन में बसंत नहीं
संतुष्टि के हीरे से पगले
अपना-घर आंगन तू भर।
लालच मत कर ओ पप्पू
तू लालच मत कर।
मन भंवरा भटकायेगा
तुझको पंगु बनायेगा
बुद्धि-समझ से काम ले
इक पल ना तू आराम ले
मंज़िल तुझे मिलेगी बस
तिनके-तिनके पे ना मर।
लालच मत कर ओ पप्पू
तू लालच मत कर।
लालच के कारण मोटा बब्बू
पाया धन गंवा बैठा
लालच के कारण छोटा गप्पू
अपना सब लूटा बैठा
तू भी खो देगा निज धन
निज हरा-भरा जीवन
किया तूने लालच अगर।
लालच मत कर ओ पप्पू
तू लालच मत कर।।
