क्योंकि लड़के रोते नहीं हैं
क्योंकि लड़के रोते नहीं हैं
क्योंकि लड़के रोते नही हैं!
बचपन से माता-पिता, बड़े बुज़ुर्ग,
कहते हैं, तुम लड़के हो।
तुम्हें बनना है, ख़ूब मजबूत,
भविष्य में तुम्हें जिम्मेदारी का
देना है सबूत।।
क्योंकि लड़के रोते नही हैं!
लड़कों को सिखाया जाता है,
तुम्हें कमजोर नहीं होना है।
लड़कियों की तरह आँसू
नहीं बहाना है,
कुल खानदान का नाम
आगे बढ़ाना है।।
क्योंकि लड़के रोते नहीं हैं!
लड़के ग़म के आँसुओं को पीना
जान जाते हैं,
हर परिस्थितियों से लड़ना सीख जाते हैं।
जब उनके ऊपर आ जाती है जिम्मेदारी,
सुख दुःख में घर को चलाना
सीख जाते हैं।।
क्योंकि लड़के रोते नहीं हैं!
उन्हें पता है, रोए तो कैसे चलेगा
परिवार,
माँ पिता पत्नी भाई बहन बच्चों का
उन पर भार।
रोना चाह कर भी आँसुओं को न
गिरने देते हैं,
तभी होता है उनका एक सुखी संसार।।
क्योंकि लड़के रोते नहीं हैं!
घर के बाहर लड़कों को निकलना है,
घर के मान-सम्मान की रक्षा करना है।
परिवार, नाते-रिश्ते, समाज में बैठाना है
तालमेल,
लड़कों को मुश्किलों को भी संभालना है।।
क्योंकि लड़के रोते नहीं हैं!
घर में किसी को दुःख तकलीफ़ हो जाए,
हर जतन कर लड़के उसे निपटाएं।
ज़्यादातर घर में लड़के ही हैं कमाते,
रोएं ही तो परिवार को कैसे चलाएं।।
