क्या है ये कविता ?
क्या है ये कविता ?
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क्या है ये कविता ?
शब्दों का जाल या अर्थों का खेल,
जुड़ता ताना - बाना या मन का ये मेल ,
समझना आसान नहीं पर मुश्किल भी नहीं ,
अगर मतलब समझ आये अंतरालों का,
कविता चाँद शब्द नहीं,
अपितु लम्हा है चाँद ख्यालों का।
क्या है ये कविता ?
कभी टूटती ले की सुर,
तो कभी जुडती गीत मधुर,
जानता हूँ ; आसान नहीं, मगर मुश्किल भी नहीं,
अगर मतलब समझ आये ख़्वाबों का,
कविता चाँद पंक्तियाँ नहीं,
ये तो दरिया है अल्फाजों का।
क्या है ये कविता ?
माँ की लोरी या बचपन की हंसी ठिठोली,
चंचलता लड़कपन की या जवान्नी की सूरत भोली,
जानता हूँ आसान नहीं मगर मुश्किल भी नहीं,
अगर मतलब समझ आये कल्पनाओं का,
कविता सिर्फ शब्द नहीं,
ये तो जरिया है उमड़ती भावनाओं का।
