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aishwarya kumar

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aishwarya kumar

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कविता

कविता

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कभी इठलाती कभी हँसाती,

झलकियाँ बिन देखे दिखलाती।

मन को भावुक कभी कर जाती,

कभी लोट पोट हँसी उड़ाती।


कविताओं का खेल अजब है,

शब्दों का यह मेल गजब है।

कविताएँ वो सब कह जाती,

बोलती जुबाँ जो न कह पाती।


इनके शब्द कभी होते आसान,

कभी क्लिष्ट और परखता ज्ञान।

इनके रंग रूप हैं अनेक,

करती कभी बिछड़ों को एक।


कविताओं का भाव निराला,

रश्मिरथी कभी मधुशाला।

कविताएँ मन को हैं भाती,

चंद पंक्तियाँ, कथा सुनाती।



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