कविता
कविता




ज्यादा बातें करने से बात बिगड भी जाती है
कम बातें करने से जिंदगी आगे बढ़ जाती है
चुप रहने से बातें बिगड़ना शुरु हो जाती है
मीठास में हलका -सा नमक ड़ाल दो खटास
आ ही जाती है
मिठी वाणी में ज़रा-सा नमक डाल दो बातें
बिगड़ भी जाती हैं..
ज्यादा बातें करने से बात बिगड भी जाती है
कम बातें करने से जिंदगी आगे बढ़ जाती है
चुप रहने से बातें बिगड़ना शुरु हो जाती है
मीठास में हलका -सा नमक ड़ाल दो खटास
आ ही जाती है
मिठी वाणी में ज़रा-सा नमक डाल दो बातें
बिगड़ भी जाती हैं..