कविता सूरज बनेगी
कविता सूरज बनेगी
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तुम उड़ाओ खूब कविता का मजाक
तुम दिखाओ उसे ठेंगा
कविता कभी लजायेगी नहीं।
कम्प्यूटर, टी० वी० के आगे ले जाकर चिढ़ाओ उसे
जितना तुम उसे
कविता कभी चिढ़ेगी नहीं।
तुम दिखाओ उसे
नेट की भड़काऊ
बदन उघाड़ू तस्वीरें
कविता कभी शरमायेगी नहीं
तुम डराओ उसे
यह कहकर कि
तू तो अब कुछ ही दिन की मेहमान है
कविता कभी डरेगी नहीं
वह उगेगी धीरे-धीरे
जैसे सूरज उगता है पूरब से
मुझे यकीन है
मेरी कविता एक दिन सूरज बनेगी।