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Anita Sudhir

Others

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Anita Sudhir

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कुंडलियां

कुंडलियां

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विनती

बालक हम नादान प्रभु, समझ न पायें मूल।

हाथ जोड़ विनती करें ,क्षमा करें सब भूल।

क्षमा करें सब भूल,घिरा कष्टों से जीवन ।

राह बिछे थे शूल,दिशा से भटका था मन ।

विनती करुँ दिन रात,तुम्हीं हो जग के पालक।

देना तुम आशीष ,तुम्हारे हैं हम बालक।


भावुक


सरिता भावों की बहे ,बहे नैन से नीर।

भावुक मन की वेदना,समझे दूजो पीर।

समझे दूजो पीर,व्यथा वो रो कर सहते ।

सहते थे दिन रात,दुखों को उनके हरते।

कहती 'अनु 'ये बात,बना लो जीवन मुदिता ।

भावुक मन की आस ,बहे अब सुख की सरिता।


धरती

 माटी अपने खेत की,पूजें धरतीपुत्र ।

भारत का अभिमान ये,करते कर्म पवित्र ।

करते कर्म पवित्र ,कड़ा परिश्रम ये करते।

जाड़ा हो या धूप ,सदा खेतों में रहते।

सहें कठिन हालात,यही इनकी परिपाटी।

धरती का सम्मान , बुलाती अपनी माटी ।


मानव

मानव गुण की श्रेष्ठता,सदा रहे समभाव।

सुख दुख का कारण यही,आशाओं की नाव।

आशाओं की नाव ,नहीं बस में इच्छाएं ।

करता रहा जुगाड़, समस्या मुख फैलाए।

बढ़ जाता जब लोभ ,तभी बनता वो दानव।

छोड़ लोभ अरु क्रोध ,बनो उत्तम गुण मानव ।


गागर

गागर में सागर भरे ,विद्वजनों के भाव,

भाव ,शब्द अरु लेखनी,करे दूर उर घाव।

करे दूर उर घाव ,तृषा मन की मिट पाये।

वंदन दोहाकार ,सृजन करते ही जाये ।

माँ वीणा आशीष,भरें भावों से सागर ।

श्रेष्ठ समाहित सीप ,छलकती इनकी गागर।


सरिता 

सरिता सम स्त्री मानिये,अविरल रहा प्रवाह।

जीवनदात्री ये रहीं, शूल सहे इस राह ।

शूल सहे इस राह, रही चंचल अविरामी ।

देतीं खुशी अपार ,सदा बन के पथगामी ।

जन्म मिलन दो ठौर,रहा नदिया अरु वनिता ।

रखना होगा मान,रहे ये निर्मल सरिता ।


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