कुछ पता नहीं
कुछ पता नहीं
जिंदगी में हमने की बहुत गलतियां।
पर मुझे समझ आई ही नहीं।
मांगू माफ़ी मैं कौन सी गलती की।
जिस का मुझे पता ही नहीं।
कितनी मुश्किलें हैं मेरे जीवन में।
खुद मेरे जीवन को पता नहीं।
जिस को मैनें दिल से चाहा।
जबकि उसको तो पता ही नहीं।
कब आ जायेंगी मौत हमें।
इसका किसी को भी पता नहीं।
सारी जिंदगी भटकता रहा
दौलत कामने को।
मौत को रोक न सकी ये दौलत भी।
मंजिले खोजता रहा पूरी जिंदगी भर।
जबकि आखिरी मंजिल का उसे पता नहीं।
आता है संसार मे रोते हुए।
जाता है संसार से सबको रुलाक़े।
आना जाना जीवन का चक्र हैं।
जिसका इंसान को कुछ पता नहीं।