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Ram Chandar Azad

Children Stories

4.5  

Ram Chandar Azad

Children Stories

कुछ लम्हें जिंदगी के

कुछ लम्हें जिंदगी के

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कक्षा में एक बार गुरु जी देर से आए।

कुछ छात्रों ने खुराफात के प्लान बनाए।।

कागज़ की पिस्तौल बना कॉपी में रख दी।

जाँच हेतु कॉपी टेबल पर सबने रख दी।।


गुड ईवनिंग के साथ सभी एक स्वर में बोले।

इंतज़ार था कब गुरु जी वह कॉपी खोलें।।

बच्चों का तो काम शरारत का होता है।

पर मंतव्य न कभी हिमाकत का होता है।।


गुरु की बातें पत्थर खिंची लकीरें होतीं।

वे अटूट, मज़बूत लौह -जंज़ीरें होंतीं।।

ब्रह्मा का भी लेख भले क्यों मिट न जाए।

गुरु की बातें उर में अमिट निशान बनाए।।


जैसे-जैसे जांच गुरु जी कॉपी करते।

जिज्ञासा, भय छात्रों के मन में

घर करते।।

बहुत मज़ा आएगा जब पिस्तौल दिखेगी।

पर भय भी था इसकी उनको सजा मिलेगी।।


भृकुटी तनी गुरु जी गुस्से में चिल्लाए।

किसने कागज़ की ये पिस्तौल बनाए।।

एक छात्र डर के मारे सहमे स्वर बोला।

सबने मुझसे कॉपी में रखने को बोला।।


धीरे-धीरे एक एक वे छात्र खड़े थे।

जो इस घटना से प्रत्यक्ष-परोक्ष जुड़े थे।।

दो-दो डण्डे लगे सभी चीखे चिल्लाए।

गुस्ताखी की सजा गुरु जी से वे पाए।।


पूरी कक्षा शांत मौन ने पैर पसारे।

मंद मंद मुस्कात गुरु जी देख नजारे।।

लिए हाथ पिस्तौल गुरु जी ने यूँ ताने।।

सारी कक्षा देख लगी हँसने मुस्काने।।



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