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Zahiruddin Sahil

Others

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Zahiruddin Sahil

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कसम से

कसम से

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तेरी नाक की लौंग में वो जो छोटा सा सूरज दमकता था

क्या कमाल था वो, आँचल के सितारों में कोई चाँद सा चमकता था


कसम तो उठा ही सकते थे दुनिया के तमाम प्रेमी-प्रेमिका

तेरे इक मुहब्बती-वुजूद से यारा , क्या -क्या नहीं झलकता था


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