कसम से
कसम से

1 min

450
तेरी नाक की लौंग में वो जो छोटा सा सूरज दमकता था
क्या कमाल था वो, आँचल के सितारों में कोई चाँद सा चमकता था
कसम तो उठा ही सकते थे दुनिया के तमाम प्रेमी-प्रेमिका
तेरे इक मुहब्बती-वुजूद से यारा , क्या -क्या नहीं झलकता था