करवा चौथ रोज़ हो जाये
करवा चौथ रोज़ हो जाये
एक सुबह जब मीठे सुर में आ पत्नी ने मुझे जगाया।
बड़े प्यार से गर्म चाय संग आया बटर टोस्ट भी खाया।
बड़ी देर तक शंकित मन में सोचा परिवर्तन का कारण,
करवा चौथ आज ही तो है सहसा मुझे याद यह आया।
दिन भर मौज़ मजे में बीता पूड़ी पकवानों को चखते।
घर में सजती और संवरती पत्नी जी को अपलक लखते।
एक दिवस के दर्जा प्राप्त देवता जैसे थे हम भैया,
सत्कारों से पूज पूज ज्यों मंदिर की मूरत को रखते।
सांझ ढली तारे मुस्काये चंदा मामा भी उग आये।
चंदा मामा के संग हम भी पत्नी जी से पूजे पूजाये।
जब अगले दिन सूर्य उगा तो उतर गया देवत्व हमारा,
सोच रहे हम कैसा हो जो करवा चौथ रोज़ हो जाये।