कर्नल की सीख
कर्नल की सीख
साठ साल के बजुर्ग
पड़ोस में हैं मेरे रहते
मिलिट्री में थे वो पहले
कर्नल सब उनको कहते।
सुबह सुबह पांच बजे
भोर में हैं उठ वो जाते
एक सीटी वो बजाते
सबको साथ में उठाते।
कहते सोओ रात जल्दी
सुबह प्राणायाम करो
एक घंटा की फिर सैर
शरीर में तुम चुस्ती भरो ।
पक्की उनकी दिनचर्या है
सालों से ऐसे ही रहें
बच्चे परेशान रहते
पर वो उनसे कुछ न कहें ।
बच्चे पीज़ा बर्गर खाते
उनको वो हैं रोकते
कोल्ड्रिंक वो जब मंगवाते
उनको रोज टोकते।
रास्ते में जो भी मिला
ज्ञान देते, वो बिठाते
न भी सुनना चाहे जो
जबरदस्ती वो सुनाते।
दिल से वो हैं बहुत अच्छे
सबको इसकी भनक है
थोड़ी सी जुबान है कड़वी
बुढ़ापे की ये सनक है।