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Vijay Kumar parashar "साखी"

Others

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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कपट

कपट

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कपट हर दिल मे छुपा बैठा है

दूध में पानी सा ज़मा बैठा है


लोग इसे पनाह देकर बड़े ख़ुश है

ये सबको शकुनि बनाकर बैठा है


कलियुग में कपट बड़ा प्रभावी है

जल्द बना देता सबको मेधावी है


ये दिल की धड़कन बन बैठा है

कपट हर दिल मे छुपा बैठा है


जब तलक कपट न मिटेगा, दिल से

प्रेम, मोहब्ब्त का फूल खिलेगा कैसे


ये कपट का आईना तोड़ भी दो

अपने रिश्तों को तुम जोड़ भी लो


इसे मन से निकालो,

ख़ुदा को तुम पा लो

साफ़-सुथरे मन से ये जल बैठा है



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